—–(शिव )—प्रतीक है, अनँत के——*
*(शिवरात्रि पर्व पर विशेष ) … ———* *शिव प्रतीक है अनँत के….*
मनोज दुबे (पचमढ़ी)
*मनुष्य ने बहुत प्रतीक खोजें है…. लेकिन शिव जेसा अनूठा प्रतीक बहुत मुश्किल है…..*
*सारे जगत मे परमात्मा के लिए जितने शब्द हमने खोजें है… शिव का कोई भी मुकाबला नहीं ।*
*उसके कारण है…*
*शिव का अर्थ ही*
*है* …*शुभ* …*अच्छा* …*लेकिन शिव*
*शिव के व्यक्तित्व मे जिसे हम बुरा कहें वह सब मौजूद है ..*
*शिव को हमने विध्वंस का देवता , विनाश का देवता मान रखा है उसी से अन्त होगा …जगत् का …*
*हैरानी की बात मालूम होती है
कि जो शुभ है …शिव है… वह विध्वंस का देवता होगा ……. लेकिन बडी कीमती बात है*…….
*हमारी शुभ की धारणा बडी अद्भुत है । दुनियाभर मे जहाँ भी शुभ की धारणा की गई वह अशुभ के विपरीत है …. इसलिये भारत को छोडकर सारे जगत् मे सभी धर्मों ने जो भारत के बाहर पैदा हुये दो ईश्वर मानने की मजबूरी प्रगट की … एक को वे ईश्वर कहते है… एक कै वे शैतान कहते है ….. ईश्वर है…ईश्वर. भलाई का शैतान है दूसरा ईश्वर है … बुराई का हमने जो भी बुराई को धारण किया है और हम उसे सत्य मानते है वह हमारे अन्दर से निकलती ही नहीं फिर हम उपवास करते व्रत और त्योहार मनाते पर बुराई हम छोडते नहीं तो केसे होगा हमारा …. कल्याण , कल्याण. होगा अवश्य.होगा परन्तु होगा तभी जब अधर्म का विध्वंस. होगा और मिट्टी की उर्वरा शक्ति मे फिर सृजन का बीस पडेगा ,प्रस्फुटित होगा , तब वह बीज पौधे का रुप धारण कर वृक्ष के पुष्पित और फलित होने तक की गाथा कहेगी । शिव का अर्थ है ही सृजन ,रचनात्मक , नया सबेरा , और नया बसेरा ।*
*मनोज दुबे* , *लेखक एवं पत्रकार*
*प्रेस क्ल्ब आ़फ वर्किंग जर्नलिस्ट*
*(राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारत)*
*”अदम्य “राष्ट्रीय* *सामाजिक एवं*
*सामाजिक सांस्कृतिक संस्था*
*(राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुम्बई)*
*ह्मयूमन राईट राष्ट्रीय….*
*(राष्ट्रीय महासचिव)*
*नवभारत पत्र समूह , नागपुर ,भोपाल , मुम्बई , ग्वालियर , मध्यप्रदेश ,* *छत्तीसगढ़ , दिल्ली एक साथ प्रकाशित, राष्ट्रीय दैनिक हिन्दुस्तान एक्सप्रेस ,* *दिल्ली , फेस आंफ इडिया मुम्बई , भूमि इडिया लाईव* , *खबरे आज तक* , *युगधर्म नागपुर , समय जगत …विशेष..* *(इन्टरनेशनल मीडिया फाऊंडेशन दिल्ली) मेम्बर….*