मालथौन/अटा कर्नेलगढ़ ।प्रधानमंत्री आवास योजना में सबसे अधिक आवास निर्माण का खिताब खुरई को मिला था जहां मध्यप्रदेश में प्रथम और भारत में पांचवा नम्बर हासिल किया था वहीं खुरई विधानसभा का एक गांव ऐसा भी जहां प्रधानमंत्री आवास योजना में एक भी आवास स्वीकृत नही किया गया है यहां के आदिवासी आज भी कच्चे खपरैल घरों में रहने को मजबूर है।
मालथौन तहसील का आदिवासी बाहुल्य गांव मझेरा जो ग्राम पंचायत अटा कर्नेलगढ़ का हिस्सा है इस गांव में करीब आधा दर्जन परिवार आदिवासियों के निवास करते है।
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना इस योजना से हर गांव हर शहर के अधिकांश बाशिन्दों को स्वयं का पक्का मकान मिला है और गरीब परिवारों का स्वयं के पक्के मकान का सपना पूर्ण हुआ है लेकिन मझेरा गांव के इन आदिवासियों को आज भी टूटे फूटे खपरैल टपरों में जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है।
गांव में जलसंकट भी गहराया हुआ है गांव के अधिकांश हेण्डपम्प बिगड़े पड़े है ग्रामवासी बताते है की सरपंच सचिव को अनेकों बार कुटीर निर्माण के आवेदन दे चुके है लेकिन कोई सुनवाई नही हुई है। जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी भी अभी इस बात से अनजान है की आदिवासी गांव मझेरा में एक भी आवास निर्माण नही हुआ है।
सीईओ दो हजार ग्यारह की सर्वे की बात का हवाला देते है लेकिन सन 2011 तो क्या इस गांव के जन्म के बाद से ही इस गांव में एक भी पक्का मकान नही है ।
यहां के आदिवासियों का मुख्य पेशा मजदूरी है दिन रात खेतों में काम करते है जिसमें दो वक्त की रोटी का गुजारा भी बमुश्किल से होता है ऐसी स्थिति में पक्के मकान का सपना एक दिवा स्वप्न ही बनकर रह गया है।
ऐसा ही हाल कुछ ग्राम पंचायत मुख्यालय अटा कर्नेलगढ़ का है यहां के करीब 19 आदिवासी परिवार है जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नही मिल सका जबकि गांव में अन्य सम्रद्ध परिवारों ने इस योजना का भरपूर लाभ उठाया है।
- अटा कर्नेलगढ़ से आशीष सिंह तोमर की रिपोर्ट