निर्धारित दर से अधिक दामों पर बेची जा रही मदिरा मशाला एवं मदिरा प्लेन
■ गांव-गांव में बिक रही अवैध शराब की बजह से घरेलू हिंसा में हो रही बढ़ोत्तरी
■सुरा प्रेमियों ने शराब की गुणवत्ता पर उठाए सवाल
मालथौन। शासकीय देशी एवं अंग्रेजी शराब दुकान मालथौन ,बरोदिया कलां,बांदरी ,खुरई एवं रजवांस में शासकीय निर्धारित दर से अधिक मूल्य पर शराब बेची जा रही है।ठेकेदारों की मनमानी के चलते शराब प्रमियों की जेब पर खुलेआम डांका डाला जा रहा है।
शादी सीजन के चलते वर्तमान में दूध की दुकानों में सन्नाटा जबकी शराब दुकानों में जमकर भीड़ उमड़ रही है ।
इसी का फायदा उठाते हुए शराब ठेकेदार मनमानी कर मनमाफिक रेट तय कर शराब बेच रहे हैं।
क्या हैं शराब के निर्धारित रेट-
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आबकारी विभाग खुरई निरीक्षक के अनुसार देशी मदिरा मशाला (लाल) पउआ के मिनिमम मूल्य 72 रुपये एवं अधिकतम मूल्य 81 रुपये हैं लेकिन यही लाल का पउआ 100 रुपये में बेचा जा रहा है।वहीं देशी मदिरा प्लेन (सफेद) पउआ की मिनिमम दर 52 रुपये जबकि अधिकतम मूल्य 57 रुपये है लेकिन यही सफेद का पउआ 80 रुपये में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।
मालथौन के कल्लू ने बताया कि 81 का पउआ 100 रुपये में दिया जा रहा है साथ ही पउआ में पानी मिलाकर बेचते है जिसे कलारी की भाषा मे कटती बोलते है जिससे अधिक मूल्य चुकाकर भी नशा नही होता जो नशा एक पउआ मे होना चाहिए वही नशा दो पउआ खरीदने पर हो पाता है।
वैसे तो शराब की बॉटल पर स्पष्ट लिखा होता है शराब स्वस्थ के लिए हानिकारक है लेकिन बरोदिया कलां ,रजवांस एवं बांदरी में बेची जा रही शराब कुछ ज्यादा ही हानिकारक महसूस की जा रही है।
सुरा प्रेमी शराब की गुणवत्ता पर उठा रहे सवाल-
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बरोदिया कलां कलारी में बिकने बाली लाल-सफेद शराब पर सुराप्रेमी उपभोक्ता शराब की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे है।
वहीं अंग्रेजी शराब दुकान बरोदिया कलां में मनमाफिक दरों पर शराब बेची जा रही है।उपभोक्ता बताते है कि शराब की बोतल का ढक्कन हमेशा लीक रहता है स्वाद भी पानी जैसा रहता है अंग्रेजी शराब पीने के बाद भी नशा नही होता जैसे शराब में मिलावट की जा रही हो?
महिलाएं हो रही घरेलू हिंसा की शिकार-
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सरकार ने देशी शराब दुकानों में अंग्रेजी शराब बेचने के लायसेंस जारी किए है लेकिन ठेकेदारों ने इसी लायसेंस का दायरा बढ़ाते हुए हर गांव में अघोषित शराब दुकान संचालित कर रखी है आसानी से गांव -गांव में शराब उपलब्ध होने के कारण गांव के बच्चे एवं युवा पीढ़ी नशे की आदि होती जा रही है ,जिससे घरेलू हिंसा जैसे अपराधों में इजाफा हो रहा है।गांव की महिलाएं लाचार पत्नियां बेबश मां अब शिवराज सरकार को कोसती नजर आ रही है।
जनता को यह बात हजम नही हो रही कि कतिपय ठेकेदारों की मनमानी आखिर इतनी क्यों बढ़ गई कि हर गांव में किराना से लेकर पान की गुमटियों तक अवैध शराब उपलब्ध करवाकर बिक़वाई जा रही है ,लेकिन इन बेलगाम ठेकेदारों पर कोई कार्यवाही नही हो रही।