नारकीय जीवन जीने को मजबूर है गांव के लोग, चार माह आवागमन रहता हैं बंद
सड़क एवं पुलिया ना होने केकारण चार महीनों तक स्कूल नहीं जा पाते हैं,बच्चे
बंडा विधानसभा के ग्राम पंचायत कलराहौ के ग्राम गणेशपुरा, नयाखेड़ा का मामला
दो विधानसभा के समीप हैं स्थित
रोड नहीं तो वोट नहीं करेंगे चुनाव का अविष्कार
पराग जैन
रजवांस। देश में आजादी के 75वे वर्षगांठ के उपलक्ष में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वही सागर जिले के कई गांव ऐसे हैं की जहां के वशिंदे समस्याओ से जकड़े हुए हैं। यहां सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुबिधाये तक नही पहुंच सकी हैं। वही बंडा विधानसभा का वह छोटा सा क़स्बा जिस गांव में आने जाने के लिए नदी, नाले पर आजादी के 75 वर्ष बाद भी पुलिया नहीं बन पायी हैं। जिसके चलते लोगों क़ो वर्षाकाल के चार माह लोगों क़ो जान जोखिम में डालकर आना जाना पड़ता हैं। जो गांव नदी नालो से घिरा हुआ हैं।
तहसील मुख्यालय से दूर ग्राम पंचायत के कलराहौ के ग्राम नयाखेड़ा (गणेशपुरा) में रहने वाले लोग वर्षो से समस्याओ से जूझ रहे हैं एवं नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। इन्हे सुलभ जीवनयापन के लिए कोई भी सुबिधाये उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें मतधिकार तो मिला हैं लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वाले प्रतिनिधि का सीमित हैं। चुनाव जीतने के बाद सरपंच से लेकर विधायक- सांसदो को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिल पाता हैं। ये हालात याकायक नहीं बने, बल्कि आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं। यहां रहने वाले लोग सड़क-बिजली व पानी की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सड़कें न बनी होने से इलाके में जलभराव हो रहा है। जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी होती। इलाके में मच्छर पनप रहे हैं इस कारण संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। यहां पेयजल का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में लोग काफी दूर जाकर पीने का पानी लाते हैं। इस इलाके में बिजली के पोल भी नहीं लगे हैं इस कारण लोगों ने काफी दूर से बिजली लाइन डालकर कनेक्शन लिए है, जिसमें ठीक से वोल्टेज नहीं मिलते। गर्मी के मौसम में लोग परेशान हो रहे हैं। लोगों ने कहा है कि वह इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों, पंचायत के आला अधिकारी के पास पहुंच चुके हैं। परन्तु इस बार ग्राम वासियो ने चेतावनी दि हैं की कहा की जब तक रोड या अन्य सुबिधाये नहीं दि जायेगी तक तक हम लोग वोट नहीं डालेगे एवं चुनाव का अविष्कार करेंगे एवं आंदोलन किया जाएगा।
ग्रामवासियो का कहना हैं की यह गांव बंडा विधानसभा क्षेत्र का एक क़स्बा हैं, जो खुरई विधानसभा के समीप स्थित हैं, वहीं इस गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए मालथौन तहसील के ग्राम पंचायत हड़ली जिसकी दूरी 2 किलोमीटर एवं ग्राम पंचायत सागोनी दूरी 4 किलोमीटर हैं, जिसमें गांव का भविष्य कहे जाने वाले छात्र-छात्राएं पहली से 12वीं तक वहां रास्ते में एक नाला पड़ता है जिसको पार करके स्कूल क़ो जाना पड़ता है, जो बारिश के समय 4 माह तक उफान पर रहता है, बच्चे स्कूल जाने से एवं पढ़ाई से वंचित रहते हैं, स्कूल कॉलेज जाने ग्रामीणों को बाजार, अस्पताल बैंक आदि जरूरी कामों के लिए नाले की बाढ़ क़ो पार कर जान जोखिम में डालकर मालथौन, रजवांस, बरोदिया, बांदरी जाना पड़ता है। इस गांव में यदि कोई व्यक्ति या महिला बीमार पड़ जाये तो यहां पर एम्बुलेंस आदि का आना नामुमकिन हैं, किसी भी विपत्ति पर ग्रामीण अपने स्वजन को चारपाई पर लेटाकर उसे उसे कंधे पर रखकर अपने निजी में स्थित तक ले जाते हैं। तब उनके पास किसी प्रकार का आवागमन के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है। बात करने पर ग्रामीणों का आक्रोश भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा हैं की आजादी को भले हो 75 साल हो गये हैं हो लेकिन इसका फायदा नहो मिला हैं। वे आज भी समस्या रूपी गुलामी में जीने को विवश हैं। उनका कहना हैं की मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दर्जनों योजनाये चलाई जा रही हैं। विकास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इन योजनाओं का लाभ ग्रामवासियो से कोसो दूर हैं। यहां ऐसा लगता हैं जैसे देश तो आजाद हो गया लेकिन यह गांव आज भी अंग्रेजों की हुकूमत में पल रहा है।
वही बीते दिनों समाचार पत्रों के माध्यम से अलाधिकारिओ को अवगत कराया जा चुका हैं, परन्तु उनको इस से क्या लेना देना उनको तो सिर्फ चार पहिया वाहन एवं लक्ष्मी जी से मतलब हैं, वह ए सी की ठंडी हबा में कुंभकरण की नींद मे सौ रहे हैं। वही सागर जिले से दो लोकसभा से मंत्री, तीन विधानसभा से कद्दावर मंत्री प्रतिनिधित्व करते हैं। परन्तु सवाल यह हैं की ग्रामवासी उन सभी योजनाओं से बंचित क्यों हैं
नाले पर पुलिया, पक्की सड़क बनाने के लिए बीते दिनों से नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह से एक स्थानीय कार्यक्रम के दौरान ग्रामवासियो ने मांग की थी एवं श्री सिंह के द्वारा आश्वासन दिया गया था, आला अधिकारियों द्वारा नापतोल किया गया था, परन्तु उच्च अधिकारी द्वारा उनके आदेश की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वही ग्रामवासिओ ने सरकार से गुहार लगाई हैं की इस पिछड़े गांव पर भी ध्यान दिया जाए।