अ,आ,इ ई… इतने डरावने तो कभी ना थे छत गिर रही हैं तो कही टपकता हैं पानी, खतरे में मासूम
■ मालथौन तहसील के संकुल केंद्र रजवांस के प्राथमिक शाला पदमरी, प्राथमिक शाला मगरा, प्राथमिक शाला रेड़ोंन रैयतवाली का मामला
पराग जैन
रजवांस। सरकार भले ही शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के तमाम दावे कर रही है लेकिन हकीकत तो ये है कि धरातल पर इसकी हालत बेहद खराब है। हम बात कर रहे हैं, तहसील मालथौन की संकुल केंद्र रजवांस में आने वाली प्राथमिक शाला पदमरी एवं प्राथमिक शाला मगरा, प्राथमिक शाला रेडोन रैयतवाली के सरकारी स्कूलों की, जहां कही भावनो, शौचालय तो कही किचिन की हालत जर्जर हो चुकी है।तो कही स्कूल प्राइबेट भवन में संचालित हो रही हैं। तो कही दरबाजे, खिड़की टूटी पड़ी हैं, जिसकी वजह से अ, आ, इ, ई… इतने डरावने कभी ना थे, यहां पढ़ने वाले बच्चों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। जर्ज़र छतो के नीचे पड़ने वाले मासूमों के लिए शब्दों का बोझ भारी बस्ते से भी ज्यादा हैं। उनकी एक निगाह ब्लैक बोर्ड पर तो दूसरी जर्ज़र भवन पर टिकी रहती हैं, ना जाने कब हादसा हो जाये, बच्चों को बाहर चौबारा पर पढ़ानें को मजबूर हैं। लेकिन शिक्षा विभाग इस से बेखबर हैं। यहां स्कूल में जमीन पर नीचे पढ़ाई हो रही है तो भवनों की छत गिरने की वजह से बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर है। कमरों की दीवारों में मोटी-मोटी दरारें एवं फर्श चटकाखा खा गया हैं एवं छट पर प्लास्टर नीचे गिर रहा हैं। ऐसे में स्कूलों के खस्ताहाल भावनाओं को देखकर अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजनें से कतराते हैं एवं उच्चय शिक्षा देने के लिए यहां वहां भेजनें को मजबूर हैं। वही शिक्षा विभाग के अधिकारी देख कर भी अनजान बने हुए हैं।
■ *पदमरी स्कूलों की हालत बेहद जर्जर*
सरकार हर शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने का दावा भी करती है लेकिन इन स्कूलों की हालत कुछ और ही बयां कर रही है। प्राथमिक पदमरी में एक से पांचवी कक्षा में कुल 17 बच्चे हैं, जिसमें दो टीचर एवं हैंड ऑफिस रसोई घर साहित दो कमरे हैं, यहां बने शौचालय की तो कहानी तो कहना ही कुछ अलग हैं शौचालय यहां पर बने मुंडन कुएं के पास होकर जाना पड़ता हैं बो भी जर्ज़र अवस्था बंद हैं। वही बरसात के मौसम में कुए के पास खेलने से भी बड़ी घटना का भय बना रहता हैं।
■ *मगरा प्राथमिक शाला का हाल बेहाल*
प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन स्कूलों के जर्ज़र भवनों की मरम्मत एवं नये भवनो का कार्य नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में बच्चे जर्ज़र भवनों में बैठनें को मजबूर हैं। प्राथमिक शाला मगरा की स्थिति को देखा एवं बात की और जाना जिसमें नौनीहार खतरे के बीच पढ़ने के लिए मजबूर हैं, पांच पांच कक्षाएं एक ही एक ही कमरे में चलाई जा रही हैं, जिसमें शिक्षिको को भी पढ़ाने में परेशानिया होती हैं एवं एक से पांच तक के 83 बच्चों में चार शिक्षक पदस्थ हैं। जहाँ बच्चें गाय भैसों की तरह बैठनें को मजबूर हैं, यहां का एक ही भवन खंडहर हैं। छतो का लेंटर टूट कर गिर रहा खिड़कीयां, दरबाजे टूटे हैं। बताया गया हैं की बरसात के मौसम में छत से पानी गिरता हैं जिसमें बरसाती डालकर छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। असामाजिक तत्वों के द्वारा शराबियों को अड्डा भी बना हुआ है। यहां पर बच्चें अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। एक ही यहां पर शाला प्राचार्य का कहना हैं की इसकी शिकायत शिक्षा अधिकारीयों से लिखित में कर चुके हैं। पर शिक्षा विभाग के आलाअधिकारी आंख में पट्टी एवं तेल डाले सोय हुये हैं, शिक्षा के मंदिर में बड़ी घटनाओ का इंतजार कर रहे हैं।
■ *प्राइवेट भवन में संचालित हो रही हैं सरकारी स्कूल, भवन पूर्णता जर्ज़र*
रेड़ोंन रैयतवारी प्राथमिक शाला का भवन इतना जर्ज़र अवस्था में हैं एक से पांच तक के 48 मासूम की कक्षाएं भी प्राइवेट भवन में संचालित हो रही है। जिसकी शिकायत पहले भी ग्रामीणों एवं शिक्षकों द्वारा उच्च अधिकारियों जनप्रतिनिधिओ से की जा चुकी हैं।
*इनका कहना हैं की*
■ इनका निरिक्षण करबा के जो भी कमिया हैं पूरा कराते हैं, स्कूलों से जो भी प्रस्ताव आया था बो जिले में जमा हैं जो भी राशि जारी होती हैं बो जिले से होती हैं, अभी कोई भी राशि जारी नहीं हुई हैं। स्कूले बीस साल पुरानी हैं सभी स्कूले जीरो पर है। *जे पी अहिरवार ब्लॉक शिक्षा केंद्र अधिकारी मालथौन*
■ जर्ज़र भवन की पूरी सूची बनाकर भेज दि गई हैं जैसे ही इसकी राशि ऊपर से जारी होती हैं कार्य करा दिया जायेगा। *गिरीश मिश्रा जिला डीपीसी सागर*