■ सुबह चार बजे से हजारों श्रद्धालु मां के चरणों जल अर्पित करने पहुँच रहे
देश मे दो जगह कलकत्ता और मालथौन में अद्भुत स्वरूप विराजमान है
मनीष पटवा
मालथौन। सागर जिले से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित मालथौन के शक्तिपीठ में विराजमान मां जगत जगदम्बा का अद्भुत अद्वितीय स्वरूप विराजमान हैं। नवरात्रि पर्व पर माता रानी को उपासना के लिये सुबह से देर रात तक भक्तों की कतार लग रही है।
माँ के चरणों में जल अर्पित करने के लिये प्रभात बेला में 4 बजे से महिलाएं बच्चे व पुरुष नंगे पैर चलकर जल अर्पित करने पहुच रहे है यहां भक्तों की मातारानी के दरबार में अटूट आस्था देखने को मिल रही हैं उन पर मातारानी विशेष आशीर्वाद हैं। भक्त बताते सच्ची मन से मांगे गए मुराद खाली नहीं जाती है अवश्य मां पूर्ण करती हैं भक्त बताते है माँ के दर्शन दिन में अलग अलग विराट रूप में होते हैं।
क्या है इतिहास:
मालथौन के किला प्रांगण में विराजमान का मां का विश्वस्तरीय स्वरूप का इतिहास बहुत पुराना है। शक्तिपीठ के बारे में किवंदती आम है कि कलकत्ता और मालथौन की काली मां की प्रतिमा एक पत्थर से निर्मित हैं इस पत्थर इतिहास स्पष्ठ रूप से अंकित हैं कहा जाता है कि बंगाल के पाल वंश द्वारा दुर्लभ काले पत्थर से निर्मित मूर्तिया इस वंश की विशेषता रही हैं बताया जाता हैं कि जब सम्राट हर्ष की 647 ई स्वी में मृत्यु तो कन्नौज पर शासन करने के लिये गुर्जर ,प्रविहार राष्ट्रकूट तथा पाल वंश बीच 1200 ई. तक निरन्तर संघर्ष चले। कन्नौज सहित उत्तर भारत मे पाल शासकों का शासन लंबे समय तक रहा। इस प्रतिमा को बंगाल से लाया गया था। मूर्ति में प्रयुक्त पत्थर काले हीरे तरह है जिसका किसी भी मौसम में लाखों बर्ष तक झरण नहीं होता हैं इस पत्थर की विश्व बाजर में कीमत कैरट के हिसाब से लगाया जायें तो कई सौ करोड़ होगी। ऐतिहासिक रूप से देखे यह मूर्ति खजुराहों के मंदिरों से प्राचीन और दुर्लभ हैं।मालथौन के किले में कुछ बीजक लगे हुए है वह यहा की प्राचीनता को बतलाते हैं।
मालथौन में सुबह 4 बजे से मातारानी के दरबार में भक्तों का पहुचना शुरू हो जाता हैं देर रात तक भक्त महाकाली की आराधना में पाठ-अनुष्ठान किये जा रहे है।यहा की निवासी बताते है की मालथौन के शक्तिपीठ में महाकाली का स्वरूप देश में दो जगह विराजमान है एक कलकत्ता में दूसरा मालथौन में अद्वितीय स्वरूप विराजमान हैं उनकी अनुकृपा से नगर में विपत्तियों से दूर रहता हैं मातारानी के दर्शन मात्र से सुख शांति का अनुभव मिलने लगता है। यहा आसपास सहित दूर दूर से भक्त दर्शनों को पहुच रहे हैं।
तापमान तथा जलस्तर सामान्य – किला परिसर में मां की अनुकृपा से यहा का बातावरण हमेशा अनुकूल बना रहता है भीषण गर्मी में भी 40 डिग्री सेलिसयस से अधिक नहीं होता हैं यहा की शीतलता पाने के लिये आसपास एवं नगर के सैकड़ो लोग ठंडक लेने पहुचते हैं और जल स्तर सामान्य हैं कुछ फुट दूरी पर जल का भंडारण हैं।
किला का हुआ सौन्दर्यकरण : मालथौन का प्राचीन किला का मंत्री भूपेंद्र सिंह के प्रयास से पर्यटन विभाग से स्वीकृत करीब एक करोड़ की लागत से किले को संवारने काम किया गया ,पहले देख रेख के अभाव में अस्तित्व विहीन हो चला था। जिसका पिछले बर्षों श्री सिंह के प्रयास से संरक्षित , सौंदर्यकरण का कार्य प्रगतिरत हैं।