सरकार के अधिकारियों ने ही सरकार के मंसूबो पर फेरा पानी
नही मिला मजदूरों को रोजगार
√ ग्राम पंचायतों में मशीनों से खोदी गई डबरी
√ मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने शुरू की गई थी योजना
√ सीईओ,सरपंच और रोजगार सहायकों ने मिलकर किया बंदरबाट
मालथौन।
मनोज तिवारी
कोरोना महामारी में करीब दो माह तक घरों में बैठे मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन ने ग्राम पंचायतों में किसानों के खेतों में डबरी खोदने की योजना बनाई थी ताकि किसानों के खेत मे जल संग्रहण हो सके साथ ही गांव के मजदूरों को जॉब कार्ड पर मजदूरी मिल सके ।लेकिन मालथौन जनपद पंचायत क्षेत्र में डबरी मशीनों से खोदी गई है ।जबकि किराए के जॉब कार्डों का उपयोग कर कुछ पैसे देकर मजदूरी निकालकर ग्राम पंचायत के नुमाइंदों के साथ जनपद पंचायत के अधिकारी मिलकर खा गए।ऐसे आरोप जनता ने लगाए है।
मालथौन विकास खंड की ग्राम पंचायतों में कहीं दिन दहाड़े तो कहीं रात के अंधेरे में डबरी खोदी गई जिनमें एक भी मजदूर को काम नही मिला।
जनचर्चा है कि जनपद के अधिकारियों से लेकर ग्राम पंचायत के नुमाइंदों ने मिलकर यह सब खेल खेला है।
बताया गया है कि डबरी खनन के लिए टू हंड्रेड एवं जेसीबी मशीनों का उपयोग किया गया इन मशीनों ने एक ही दिन में पांच से छह डबरियो का खनन कर दिया जबकि मजदूरों से यदि डबरी खुदवाई जाती तो काफी समय लगता साथ ही सरपंचों सचिवों और जनपद के अधिकारियों को कुछ नही मिल पाता सारी मजदूरी मजदूरों में ही बॉटनी पड़ती लेकिन मशीनों के खेल ने सबको मालामाल कर दिया।
खुरई विकासखंड में तो एक सरपंच इस्तीफ़ा देने तक एसडीएम तक पहुँच गई थी इस्तीफा देने का कारण सिर्फ डबरी की खुदाई ही बताई गई थी जिसको रोजगार सहायक एवं गांव के दबंगों के द्वारा मशीनों से खोदा जा रहा था।
वहीं मालथौन क्षेत्र में भी मशीनों से डबरी खोदने के लिए अनेक घटनाएं सामने आई लेकिन यह सभी घटनाएं अधिकारियों की टेबल के नीचे सिसकती रही इनकी आवाज भी ऑफिस से बाहर नही निकल सकी।
जनपद विकास खंड के पथरिया बामन,समसपुर, मडावनगौरी,बीकोर कलां, रजौआ ,रोड़ा,दुगाहा कलां,आदि अनेकों ग्राम पंचायतों में डबरी सहित अन्य विकास कार्यों का भौतिक सत्यापन कराया जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है।
बताया गया है कि जनपद विकासखंड के अधिकारी फील्ड पर काम न कर ऑफिस से ही सभी कार्य निपटाते है सुपरविजन का कार्य भी ऑफिस में बैठे बैठे पूर्ण करते है।
अधिकारियों और पंचायत के नुमाइंदों की मिलीभगत ने मजदूरों के पेट पर लात ही नही बल्कि कुल्हाड़ी मारी है।सरकार की मंशानुरूप कार्य ना कर जेब की मंशा से कार्य कर रहे है जिससे आम जनता में भारी आक्रोश पनप रहा है।
अधिकारियों का यही रवैया रहा तो अब गांवों से पलायन की स्थिति निर्मित होने लगेगी वैसे भी लॉक डाउन के चलते गरीब मजदूरों और मध्यम वर्गीय परिवारों में भुखमरी के हालात है।वहीं मंहगाई ने भी सभी की कमर तोड़कर रख दी इन हालातों में सरकार जो भी रोजगार मुहैया करवा रही है उसमें शासकीय अधिकारी अपनी जेबें गरम कर रहे है।महामारी के बाद अब अधिकारी मजदूरों की मजदूरी डकारने में कोई कसर नही छोड़ रहे।