रक्तवीर योद्धा सुदेश जैन ने 42 वी बार किया रक्तदान
सुरेन्द्र कुमार जैन
मालथौन।रक्तदान महादान होता है धीरे-धीरे लोग इसका महत्व भी समझने लगे हैं और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे जिनको अभी भी रक्तदान करने से डर लगता हैं, उनको इस खबर पर जरूर नजर डालनी चाहिए।
मालथौन क्षेत्र में एक ऐसे रक्तवीर योद्धा है जिनको 41 की उम्र में रक्तदान करने का गजब का जनून है।
वह 42 बार रक्तदान कर चुके है। हम आपसे उनका साक्षात्कार कराते है वैसे तो क्षेत्र में हर कोई किसी न किसी तरह इस सख्सियत को जानता है ।
रक्तवीर योद्धा सुदेश जैन 41 बर्ष निवासी रजवांस अब तक 42 बार जरूरतमंद लोगों को रक्तदान कर चुके हैं अब तक उन्होंने किसी शिविर में रक्तदान नहीं किया है ।
रक्तदान के प्रति गजब का जबजा है।
कई बार खून की कमी के चलते लोगो की मौत हो जाती ।रक्त समय पर लोगो को उपलब्ध नहीं होता है ऐसे में लोगो की जान बचाने का श्री रक्तवीर जैन ने बीड़ा उठाया हैं। इस नेक कार्य के लिए सम्मानित भी हो चुके हैं।
पिता को रक्त नहीं मिला तो उठा लिया बीड़ा – सुदेश जैन ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया की स्व. श्री फूलचंद जैन जी जो पूर्व सरपंच हडली थे ,बात 1998 की है,जब मेरी उम्र 15 बर्ष थी,उनके पैरों में और चेहरे पर सूजन आ जाने के कारण तत्कालीन डा:मौर्या सागर को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ,किसी रिश्तेदार ने सलाह दी कि आप चौथराम हास्पिटल इंदौर में दिखा दो,तो हम और हमारे बड़े भाई जो अब हमारे बीच नहीं हैं स्व:श्री सुनील जैन जी{शिक्षक} पापा जी को लेकर चौथराम हास्पिटैलिटी पहुंचे बहा पर भर्ती किया तो सारी जांचें हुई,तो सारी रिपोर्ट में बताया गया कि दोनों किडनी फेल हो चुकी है पूर्णतःऔर लीवर भी काम कर रहा है मात्र 40%तो डा:बोले कि जिससे खून भी नहीं बन रहा है शरीर में,अब हम डायलेसिस करेंगे तो तत्काल चार बॉटल ब्लड की आवश्यकता है फिर एक माह में 4 बार डायलेसिस करेंगे तो 16 बाटल ब्लड लगेगा हर हफ्ते,हम और भाई ने पापा जी को 2 वाटल रक्त दे दिया जो मेरा पहली बार था ,और दो बॉटल को खून की तलाश में हर जगह इंदौर में दो दिन तक पर कोई तैयार नहीं हुआ जैसे तैसे 10000/-दस हजार रूपये मे दो बाटल ब्लड खरीदा हम दोनों भाइयों ने एक अस्पताल से,और पापा जी का डायलेसिस तीसरे दिन करबाया उस समय पापा जी हम दोनों को देख कर रो रहे थे सूजन से आंखें थोड़ी सी खुली हुई थी,और पैरों मे सूजन बहुत ही आ गई थी,जैसे तैसे पापा जी को बचा सके और जब तक ब्लड जब तक जिंदा रख सकते थे पापा जी को ऐसे हम दोनों भाइयों ने पापा जी को 6 महिने जीवित ही रख पाए पर उस समय रक्तदान की महत्वता समझ आई कि हम लोग जब इतने परेशान हो गए थे कि समझ आया कि गरीब सर्वहारा तबके के लोग कैसे क्या करते होंगे तब से रक्तदान कर रहे हैं।
पापा से मिला प्रेरणा –
बर्ष1998 से निरंतर समर्पित है सिर्फ और सिर्फ गरीब और जरूरतमंद को रक्त दान करते है आज तक किसी शिविर रक्त नहीं दिया। तभी से निरंतर रक्तदान करने के लिए समर्पित हूं एक एक कतरा खून का जरूरतमंदों के लिए समर्पित है मेरे पापा जी मेरे प्रेरणास्त्रोत है।
हम लोगों की मदद स्वयं रक्तदान करके ओर उनके परिवार के सदस्यों को भी रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करना और सेवक बनकर मरीज की जितनी भी बन सकता है मदद करता हूं,हमारे बड़े भाई समीर जैन , मुकेश साहू और अन्य सभी रक्तदान महादान ग्रुप के सदस्यों के साथ मिलकर रक्तदान की ब्यब्स्था कराना ,मरीज को अस्पताल में इलाज के लिए जो भी आवश्यकता होती जो बन पड़ती वह जरूर करते है है ।
गरीब महिला को रक्त दान –
शनिवार को सुदेश जैन को परिचित ने बताया की एक महिला के लिए रक्त जरूरत है उसका 4 प्रतिशत खून अति आवश्यक है उन्होंने जिला चिकित्सालय पहुचकर महिला श्रीमती ऊषा अहिरवार पिता तुलसीराम अहिरवार ग्राम मडाबनमार को रक्तदान किया।