आपको एक छोटी सी कहानी सुनाती हूं. ये तब की बात है जब मैं 11-12 साल की थी. हमारी कॉलोनी में तब एक फैमिली शिफ्ट हुई थी. उनकी एक बेटी थी. उसका असली नाम नहीं बता सकती. तो इस कहानी के लिए उसका नाम पिंकी रख देते हैं. पहले दिन से ही वो कॉलोनी के सारे बच्चों के निशाने पर थी. सब उसपर हंसते. उसका मज़ाक उड़ाते. सांड. भैस. मोटी. न जाने क्या-क्या कहकर बुलाते. वजह? उसका वज़न. अब मुझे उसकी एक्जैक्ट हाइट और वेट याद नहीं. कभी पूछा भी नहीं. पर उस समय ऐसे फूहड़ मज़ाक करते समय शायद ही किसी को एक बात मालूम थी. पिंकी को एक मेडिकल कंडीशन थी. जिसे ओबेसिटी कहते हैं. मुझे खुद बहुत बाद में समझ में आया. क्योंकि अपने यहां एक शब्द है. मोटा. लोग इसका इस्तेमाल दिल खोल कर करते हैं. तंज कसने से लेकर नीचा दिखाने के लिए. पर इसके बारे में कभी और बात करेंगे. आज हम फोकस करेंगे उस कंडीशन पर. जिसे ओबेसिटी कहते हैं.
क्या होती है ओबेसिटी?
सबसे पहले तो ये समझ लेते हैं कि ओवरवेट होना और ओबीज़ होना. दोनों अलग अलग चीज़ें हैं. अब दोनों में फ़र्क क्या है? एक चीज़ होती है. जिसे कहते हैं BMI. यानी बॉडी मास इंडेक्स. मोटा-माटी समझें तो ये एक टेबल हैं. जिसे तैयार किया गया था डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की मदद से. ये तय करता है कि आपकी हाइट, उम्र के हिसाब से आपका वेट कितना होना चाहिए. और जितना है वो हेल्दी है या नहीं. अब WHO के हिसाब से अगर आपका BMI 25 से 30 है, तो आपका कहलाते हैं ओवरवेट. अगर आपका BMI 30 या उससे ज़्यादा है तो आप होते हैं ओबीज़. अब कैसे पता चलेगा कि आपका BMI कितना है? कुछ क्विज होती हैं. जिसमें आपकी हाइट. वेट. उम्र. कितनी एक्सरसाइज करते हैं, लाइफस्टाइल कैसा है–ये सब पूछा जाता है. फिर वो कैलकुलेटरनुमा चीज़ आपका BMI बता देता है. नहीं तो आसान तरीका है कि आप डॉक्टर से या जिम ट्रेनर से पूछ लें. उनके पास मशीन होती है. वो आपका सटीक BMI बता देंगे.
अब सबसे पहले ये जानते हैं कि ओबीज़ होना आख़िर होता क्या है? इसके मुख्य कारण क्या हैं? और इससे किस तरह की दिक्कतें हो सकती हैं?
-ओबेसिटी मतलब बॉडी में कहीं भी ज़रूरत से ज़्यादा फैट हो और उसकी वजह से किसी भी तरह की बीमारी आदमी को हो जाए या जान का ख़तरा हो जाए
– बॉडी में फैट का परसेंट भी 20 प्रतिशत से कम होना चाहिए. अगर बॉडी में फैट का परसेंटेज 20 से ज़्यादा हो, लेकिन आदमी दिखने में बहुत बड़ा न हो, वज़न भी ज़्यादा न हो तो भी उसे एक तरह की ओबेसिटी बोलते हैं.
– इसमें बॉडी का फैट इतना ज़्यादा होता है कि उसकी वजह से इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ता है, डायबिटीज जैसी बीमारी हो सकती है. इस तरह की ओबेसिटी इंडिया में सबसे ज़्यादा है
– फैट के कारण बहुत सारे हॉर्मोन्स तैयार होते हैं, जिनसे डायबिटीज हो सकता है, ब्लड प्रेशर हो सकता है, हार्ट पर असर हो सकता है
– वज़न की वजह से जॉइंट के पर प्रेशर आता है
– मेल में फीमेल हॉर्मोन्स बढ़ जाते हैं. यंग लड़कों में ब्रेस्ट बनने लगते हैं
– लड़कियों में मेल हॉर्मोन्स बढ़ जाते हैं. चेहरे पर काले धब्बे, पिंपल, पीसीओएस, मां न बन पाना जैसी दिक्कतें होती हैं
-लोगों को लगता है कि खुद डाइट, एक्सरसाइज करके ओबेसिटी को ठीक कर लेंगे पर बाक़ी बीमारियों की तरह इसे भी इलाज की ज़रूरत होती है
क्यों होती है ओबेसिटी?
-ओबेसिटी के कई कारण होते हैं. कुछ जेनेटिक होते हैं जो इंसान के हाथ में नहीं होते
-कुछ कारण होते मेटाबोलिज्म के
-बाकी कारण हैं इंटेस्टाइन, डाइजेशन, या इम्युनिटी, लिवर और पैंक्रियास का फंक्शन अगर सही नहीं है तो भी ओबेसिटी हो सकती है
-आपकी लाइफस्टाइल, किस तरह का खाना खाते हैं, कितना खाते हैं, कितनी एक्टिव लाइफ है, आपकी उम्र कितनी है, क्या पहले आप कोई स्टेरॉयड या ऐसी दवाई ले चुके हैं जिससे मेटाबोलिज्म बदलता है, ये सब ओबेसिटी पर असर डालते हैं.
इलाज क्या है?
-लाइफसेल, डाइट, दवाई, एंडोस्कोपी है, बलून होता है, दूरबीन (लेप्रोस्कोपी) से भी इलाज हो सकता है
-किसको किस तरह का ट्रीटमेंट चाहिए या क्या सॉल्यूशन हो सकता है, ये उसकी बीमारी की गंभीरता के ऊपर, जेनेटिक और मेटाबोलिज्म के ऊपर निर्भर करता है
-डॉक्टर्स आपकी जांच के अनुसार दवाई दे सकते हैं या सर्जरी का ऑप्शन दे सकते हैं
और इससे निपटने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
-अच्छे डाइट के साथ, क्षमता अनुसार हर रोज़ 30 से 60 मिनट एक्सरसाइज करना ज़रूरी है
-धीरे-धीरे एक्सरसाइज की इंटेंसिटी बढ़ानी है
-वज़न कम करते वक़्त आपको छोटे-छोटे गोल्स बनाने हैं, जो स्पेसिफिक हों और आप पूरा कर सकते हों
-ये गोल्स अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के साथ शेयर करिए, जो आपको इन्हें पूरा करने में मदद करेंगे
-वेट लॉस मैनेजमेंट प्रोग्राम भी ज्वाइन कर सकते हैं, यहां आपको स्पेशलिस्ट ट्रेनर की सलाह मिलेगी
-अगर वज़न फिर भी कम नहीं होता है तो ओबेसिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए
आपकी डाइट आपकी सेहत का एक बड़ा हिस्सा है. इसे नज़रअंदाज़ मत करिए.
-अगर आपको वज़न कम करना है तो आपको पीना है काढ़ा
-काढ़ा इम्युनिटी के लिए अलग बनता है, वज़न कम करने के लिए अलग बनता है
-एक चम्मच अजवाईन, आधा चम्मच दाल चीनी का पाउडर, 6 ग्लास पानी में अच्छे से उबाल लीजिए
-छानने के बाद आपको ये पानी सुबह खाली पेट पीना है, नींबू डालकर पिएंगे तो ज़्यादा अच्छा रिजल्ट आएगा
-दोपहर का खाना, नाश्ते के बाद, हर एक मील के बाद—आधे घंटे के गैप में ये पानी पीना है
-इस पानी से आपका ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रोल सब कम रहता है, इसमें मौजूद अजवाइन जो एसिडिटी को भी कंट्रोल रखेगा
-दिन में कम से कम एक बार, खाने से 15 मिनट पहले आप सेब का सिरका (एप्पल साइडर विनेगर) लेंगे तो जो जमा हुआ वसा है आपके पेट के पास, तोंद के पास—उससे राहत मिलेगी
– अगर आपके ब्लड टेस्ट में विटामिन-डी की कमी, हीमोग्लोबिन की कमी या थायरॉयड है तो उसी हिसाब से अपनी डाइट में बदलाव लाएं
-टाइम पर सोइए और ख़ुश रहिए