आते जाते हुए सब पे नजर रखता हूं, नाम अब्दुल है मेरा, सबकी खबर रखता हूँ…..
मालथौन।
मालथौन के कन्हैया को देखकर 1980 में बनी फिल्म शान मे अब्दुल का पात्र निभाने वाले मजहर के इस गीत को लोग बरबस ही याद कर होंठों पर गुनगुनाने लगते है।”आते जाते सब पे नजर रखता हूं, नाम अब्दुल है मेरा सबकी खबर रखता हूँ”
मालथौन निवासी कन्हैया रैकवार पिता मुन्नालाल रैकवार आठ वर्षों से सड़क पर भीख मांगकर स्वयं गुजारा कर रहा है
एक गंभीर बीमारी में दोनों पैर खो बैठे कन्हैया करीब आठ वर्ष पूर्व एक मेहनती मजदूर किसान था जो मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करता था, लेकिन कन्हैया के पैरों में आई अचानक गंभीर बीमारी ने उसका सब कुछ छीन लिया और वक्त ने उसे भिखारी बना दिया।
कन्हैया बताते है कि मेरे दोनों पैरों में कैंसर हो गया था जिसकी बजह से दोनों पैर कट गए।पत्नी की भी म्रत्यु हो गई और बच्चे मेरी देखभाल नही कर पाते इसलिए मंदिर -मस्जिदों के पास जाकर भीख मांगते है और अपना गुजारा करते है।
कन्हैया को शासन की योजनाओं में पेंशन के रूप में छह सौ रुपये भी मिलते है।लेकिन इस मंहगाई के दौर में छह सौ रुपये मे जीपन यापन करना नामुमकिन है। इसी बजह से भीख मांगने को मजबूर है।
कन्हैया को अब बैंक ऋण की दरकार है ताकि बो बैंक ऋण की राशि से कोई रोजगार कर सके और भीख ना मांगना पड़े।
मालथौन जनपद पंचायत से दिव्यांग कन्हैया को ट्राई साइकिल मिली थी, लेकिन कन्हैया के घर को जाने बाला रास्ता ऊँचाई पर है इस बजह से वह साईकिल चलाने में असमर्थ है ।
इसीलिए अब यह दिव्यांग हाथ से बनी गाड़ी जिसे बुंदेलखंड में गिड़गिडिया कहते है उसी पर सवार होकर भीख मांगने का कार्य कर रहा है।
कन्हैया बताता है कि अब हाथ से बनी लकड़ी की गाड़ी भी टूट चुकी है चार बेरंग से चलने बाली गाड़ी में अब सिर्फ आगे बाले हिस्सा में दो बेरंग ही बचे है इससे यह गिड़गिडिया भी अब साथ नही दे रही है।
कन्हैया रैकवार बुंदेली राग ढिमरयाई गाने में भी माहिर है ,बुंदेलखंड की चर्चित ढिमरयाई “बंशी में बीद गई बाम बरौनी घरे चलो”
“ढीमरा कीने फेक दओ जाल फस गई जल मछली”
“हो रओ मछरियों को ब्याओ” आदि ढिमरयाई राग को कन्हैया रैकवार जब तमूरा में छेड़ता है तो बरबस ही लोग इकठ्ठा हो जाते है।लेकिन कन्हैया बताता है कि डीजे की धमक में अब ढिमरयाई लुप्त हो गई है।